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शनिवार, 17 मार्च 2018

वही मेरी प्रीत , वही उम्मीद !



ग्वाल बाल का खेल कन्हैया 
गोपियों के वे रास रचैया। 


 यशोदा और ब्रज के दुलारे ,
नन्द बाबा की आँखों के तारे।


कालिया ,पूतना के उद्धारक 
दानव ,कंस वध  के कारक । 
 . 

वही वंशी की तान के नायक 
वही शंख के नाद सृजक। 


परम  उद्धारक गीता के गायक 
नीति ,धर्म के कुशल धनिक । 


पांचाली के चीर प्रदायक ,
राधा ,रुक्मणि की घनेरी प्रीत। 


घन ,जल,थल ,जन के पालक ,
वही मेरी प्रीत , वही उम्मीद !


पल्लवी गोयल 
चित्र साभार गूगल 

12 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. आपके अमूल्य स्नेह लिए सदैव आभारी रही हूँ ,प्यारी सुधा मैम ।
      सस्नेह आभार ।

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १९ मार्च २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस प्रोत्साहन के लिए ह्रदय से आभार है ।
      सादर ।

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. आपकी प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह धन्यवाद,नीतू जी।

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. ब्लॉग पर आपका स्वागत है , आदरणीय गगन जी । आपकी प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार है ....स्नेह बनाये रखियेगा ।

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